- Get link
- X
- Other Apps
कभी दर्या के औंधे में बैठे
लहरों के हित्कोले निहारते
ज़मीं और आसमान के फासले तय करते
ख्वाबों में गुम हो जाऊं !!
कभी मंजिल के पास जाते
कभी यूँही बुदबुदाते गुनगुनाते
मैं और मेरी परछाई हमेशा साथ रहते !!
महफिलें ... फासलों दूर बैठे हैं
ना मैं उनको नज़र आऊं, ना मैं उन्हें देख पाऊं !!
यह रंगीनियत आई तो है,
पर वजह मैं नहि।
मैं अकेला ही भला हूँ
खुद्में कितना खुश सा हूँ !!
कोई अनकही याद आती है
कोई शाम मुझको बुलाती है
खफा क्यूँ हूँ यह नहीं जानता
मुझे इश्क है खुदसे
बस इसी लम्हे में मुझे रहने दो।
मैं शायद ऐसा ही हूँ
या मुझे बनना ही था ऐसा
ना जानने की आबरू है
ना जुस्तजू किसी की है
कहीं दूर हूँ, कहाँ हूँ, क्यूँ हूँ
कब तक हूँ, अब इसकी परवाह नहीं
बस हूँ। जिंदा हूँ। खुश हूँ।
लहरों के हित्कोले निहारते
ज़मीं और आसमान के फासले तय करते
ख्वाबों में गुम हो जाऊं !!
कभी मंजिल के पास जाते
कभी यूँही बुदबुदाते गुनगुनाते
मैं और मेरी परछाई हमेशा साथ रहते !!
महफिलें ... फासलों दूर बैठे हैं
ना मैं उनको नज़र आऊं, ना मैं उन्हें देख पाऊं !!
यह रंगीनियत आई तो है,
पर वजह मैं नहि।
मैं अकेला ही भला हूँ
खुद्में कितना खुश सा हूँ !!
कोई अनकही याद आती है
कोई शाम मुझको बुलाती है
खफा क्यूँ हूँ यह नहीं जानता
मुझे इश्क है खुदसे
बस इसी लम्हे में मुझे रहने दो।
मैं शायद ऐसा ही हूँ
या मुझे बनना ही था ऐसा
ना जानने की आबरू है
ना जुस्तजू किसी की है
कहीं दूर हूँ, कहाँ हूँ, क्यूँ हूँ
कब तक हूँ, अब इसकी परवाह नहीं
बस हूँ। जिंदा हूँ। खुश हूँ।
Comments
Post a Comment