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रोटी कपडा और मकान, आज भी इन की गुहार लग रही है, हम आज ६४थ सौतान्त्र्ता दिवस मना रहे हैं फिर भी हमारी सबसे पुराणी पुकार ख़त्म नहीं हुई है. हम आज पूरी दुनिया के सबसे बेहतरीन fashion shows aur malls वाले देशों की गिनती में आते हैं. हमारे यहाँ सबसे ज्यादा खरबपति हैं, और मजे की बात यह है की सबसे ज्यादा भुखमरी भी यहीं है. हम एक ओर अपना GDP देख कर खुश होते हैं तो दूसरी ओर BPL की गिनती देख कर मायूस हो जाते हैं.कितना भिन्न है आज भी हमारा देश, यहाँ आज भी सबसे ज्यादा भिन्नता है, हर प्रकार की विवशताएँ हैं, हर प्रकार की सौतान्त्र्ता है, हर प्रकार की खुशियाँ हैं और हर प्रकार के गम भी यहाँ हैं! हमें क्या चाहिए? हमें चाहिए की हम अपने देश की सबसे पहली प्राथिमिकता को ध्यान में रखें और इसके लिए सबसे पहले प्रयत्न करें, कोई भी देश तब तक उन्नत नहीं हो सकता जब तक ओह अपनी मूल जरूरतों को पूरी न करें, हम चाहें कितना भी तरक्की करलें कितनी भी GDP बढ़ा लें, हम उन्नत राष्ट्र नहीं बन सकते.! हमारे विचार खुले हो हमारे लक्ष्य एक हों, हम देश के लिए मिलकर सोचें और देश को ही अपना धर्म समझें, यह अब तक कहने की ही